खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है. भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को ही खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है. भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश अर्पित करने के कारण इन्हें वरदान स्वरूप श्याम का नाम मिला.
पौराणिक कथा के अनुसार लाक्षागृह की घटना के बाद जब पांडव वन में भटक रहे थे, इस दौरान हिडिंबा नाम की राक्षसी से भीम का विवाह हुआ. देवी मां की भक्त होने के कारण हिडिंबा को घटोत्कच के रूप में एक शक्तिशाली पुत्र प्राप्त हुआ, जिसने महाभारत युद्ध में कौरवों की सेना को खूब क्षति पहुंचाई. जब घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक का जन्म हुआ तो वो अपने पिता से भी ज्यादा शक्तिशाली थे. उन्होंने देवी मां की सिद्धि करके तीन दिव्य अचूक बाण पाए थे, जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे. उनकी इस शक्ति ने उन्हें अजेय बना दिया था. महाभारत युद्ध में हारने वाले पक्ष की तरफ से लड़ने के संकल्प के कारण श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांगा था. इसलिए खाटू श्याम को ‘हारे का सहारा’ और ‘शीश का दानी’ भी कहा जाता है.