महाभारत के 18 दिनों तक चले युद्ध में पांडवों की जीत हुई. कौरवों पर विजय प्राप्त करने के बाद पांडवों को अपनी वीरता पर अभिमान होने लगा. युद्ध के बाद जब पांडवों में श्रेष्ठता को लेकर लड़ाई होने लगी, तब उनके इस अभिमान को श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के जरिए तोड़ा.
दरअसल बर्बरीक ने शीश दान करने से पहले श्रीकृष्ण से पूरा महाभारत युद्ध देखने की इच्छा जताई थी. इसके बाद बर्बरीक के सिर को युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रखा गया, जहां से उन्होंने बड़ी बारीकी से युद्ध देखा. जब पांडव अपनी-अपनी वीरता का बखान करने लगे तब श्रीकृष्ण उनको बर्बरीक के सामने ले गए, तब बर्बरीक के कटे शीश ने जीत का सारा श्रेय भगवान श्रीकृष्ण को दिया. बर्बरीक के शीश ने कहा कि मुझे पूरे युद्ध में सिर्फ श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र ही दिखाई पड़ा. जिस समय सुदर्शन चक्र चल रहा था, बड़े-बड़े योद्धा रणभूमि में कटे वृक्ष की तरह गिर रहे थे. इसलिए आप सबका अपने ऊपर घमंड करना बेकार है. इसके बाद श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को पूजे जाने का वरदान दिया.