हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का अपना विशेष महत्व है. कार्तिक महीने में धनतेरस से चालू होने वाले त्योहार पांच दिनों के बाद भाई दूज के दिन खत्म होते हैं. दीपावली के अगले दिन यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं.
इस बार दिवाली के अगले दिन सूर्य ग्रहण लगने के कारण ये पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इस पूजा का मुहूर्त सुबह करीब सवा दो घंटे तक रहेगा. इस पर्व में अन्न और गायों की पूजा का बड़ा महत्व है. पूजा के दौरान गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसका पूजन किया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रज में अन्न की अच्छी पैदावार के लिए इंद्र देव की पूजा की तैयारी चल रही थी. भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र देव की बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा क्योंकि इसी पर्वत पर गायें चरने आती थीं. इससे इंद्र देव नाराज हो गए और उन्होंने खूब बारिश कर दी. तब श्रीकृष्ण ने पूरा गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया, जिसके नीचे सभी ब्रजवासियों ने शरण ली. तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई.