कार्तिक मास में दिवाली के बाद पड़ने वाले छठ पर्व का विशेष महत्व है. सूर्य आराधना का ये पावन पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी से शुरू होकर चार दिनों बाद सप्तमी तिथि को खत्म होता है. छठ पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य आता है, साथ ही संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है.
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण की परंपरा है. ये एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूर्य के साथ-साथ अस्त होते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. इसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. इस बार ये पर्व 28 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर को समाप्त होगा. कहते हैं महाभारत में कुंती और द्रौपदी द्वारा भी छठ पूजा करने का उल्लेख है. छठ पूजा में साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. इस व्रत को रखने से सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. ये पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.