ये सच बात है कि द्वापर युग में अर्जुन से बड़ा कोई धनुर्धर नहीं था. लेकिन इतनी योग्यता होने पर कभी-कभी व्यक्ति को घमंड भी घेर लेता है. ऐसा ही कुछ अर्जुन के साथ हुआ, लेकिन सही समय पर भगवान श्रीकृष्ण ने हनुमान जी के जरिए अर्जुन को उनकी इस भूल का एहसास कराया.
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महाभारत युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने हनुमान जी और अर्जुन को द्वारका बुलाया. श्रीकृष्ण को ध्यान मग्न देख हनुमान जी और अर्जुन समुद्र के किनारे बैठकर एक-दूसरे से संवाद करने लगे. इस दौरान अर्जुन ने खुद पर घमंड करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम को लंका जाने के लिए पत्थर के बजाए बाणों का सेतु बनाना चाहिए था. ये बात हनुमान जी को अच्छी नहीं लगी. उन्होंने अर्जुन को चुनौती देते हुए कहा कि अगर अर्जुन के बाणों का सेतु उनका भार सहन कर लेता है, तो वो अपने आप को अग्नि के हवाले कर देंगे. इसके बाद अर्जुन ने बाणों का सेतु बनाया और वो हनुमान जी के पैर रखते ही टूट गया. तब अर्जुन को अपनी गलती का अहसास हुआ.