ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रहों में से बुध को राजकुमार माना गया है. बुध ग्रह मुख्य रूप से बुद्धि, तर्क, वाणी और मित्र का कारक होता है. वहीं सूर्य यानि आदित्य को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है. सूर्य को यश-कीर्ति और मान-सम्मान का कारक माना जाता है. यही बुध और सूर्य मिलकर ही बुधादित्य योग बनाते हैं.
किसी कुंडली में अगर बुध और सूर्य एक साथ हों तो बुधादित्य योग का निर्माण होता है. ऐसा कहा जाता है कि ये योग जिस भी भाव में बनता है, उसे प्रबल बनाता है. इस कारण से ये ज्यादातर शुभ फल ही देता है. कुंडली के लग्न भाव में अगर ये योग है तो व्यक्ति को यश प्राप्त होता है. दूसरे भाव में इस योग से व्यक्ति का जीवन सुखी और तीसरे भाव में होने से नौकरी और व्यवसाय में सफलता मिलती है. वहीं चौथे भाव से वाहन और मकान का सुख, पांचवें भाव से व्यक्ति कला क्षेत्र में, छठे भाव से आत्म विश्वास, सातवें भाव से समाज सेवा, आठवें भाव से सफल व्यापारी, नौवें भाव से हर क्षेत्र में सफलता, दशम भाव से संगीत प्रेमी, एकादश भाव से धनी और द्वादश भाव से विदेश में ज्यादा सफल होता है.