कुंडली अपना भविष्य देखने के लिए एक आइना होता है. कुंडली में ग्रहों की स्थिति और महादशा के अनुसार आंकलन किया जाता है. व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में होता है, उसका जीवन उसी नक्षत्र के स्वामी ग्रह की महादशा से प्रारंभ होता है.
ज्योतिष में सभी नौ ग्रहों की अपनी-अपनी राशियां होती हैं, जिनमें सूर्य की सिंह राशि, चंद्रमा की कर्क राशि, मंगल की मेष और वृश्चिक राशि, बुध की मिथुन और कन्या राशि, बृहस्पति की धनु और मीन राशि, शुक्र की वृषभ और तुला राशि एवं शनि की मकर और कुंभ राशि हैं. शुक्र ग्रह की बात करें तो इस ग्रह की महादशा जीवन में 20 साल के लिए आती है. शुक्र ग्रह को सुख, समृद्धि, धन, वैभव, प्रेम और सौंदर्य का कारक माना जाता है. कुंडली में शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति अपनी महादशा के दौरान अकूत धन-संपत्ति दिलाती है. इसके अलावा वैवाहिक जीवन में भी मधुरता लाती है. वहीं शुक्र की खराब स्थिति अपनी महादशा आने पर व्यक्ति को भौतिक और वैवाहिक सुख से वंचित कराती है.