नौ ग्रहों में सेनापति की भूमिका रखने वाले मंगल ग्रह को शक्ति, साहस और पराक्रम का कारक माना गया है. किसी कुंडली में अगर मंगल शुभ स्थिति में है तो व्यक्ति कोई भी बड़े से बड़ा कार्य करने से हिचकेगा नहीं. यही मंगल अगर कुंडली में खराब स्थिति में हो तो व्यक्ति को मांगलिक दोष समेत कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
विभिन्न भावों की बात करें तो लग्न में मंगल होने पर व्यक्ति किसी के दबाव में नहीं रह सकता. द्वितीय भाव का मंगल शिक्षा के क्षेत्र में परेशानी देता है. तृतीय भाव में स्थित मंगल व्यक्ति को कटुभाषी बनाता है. चतुर्थ भाव में मंगल के कारण व्यक्ति कार्यक्षेत्र में काफी तरक्की करता है. पंचम भाव का मंगल व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है. छठे भाव में स्थित मंगल व्यक्ति को मेहनती बनाता है. सप्तम भाव में होने से आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहती. अष्टम भाव में मंगल स्वास्थ्य संबंधी परेशानी देता है. नवम भाव में होने से व्यक्ति अहंकारी और क्रोधी होता है. दशम भाव का मंगल पद-प्रतिष्ठा दिलाता है. एकादश भाव में होने से व्यक्ति धैर्यवान होता है. द्वादश भाव में स्थित मंगल के कारण व्यक्ति काफी खर्चीले स्वभाव का होता है.