सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा, पालनकर्ता विष्णु और संहारक शिव जी हैं. कहते हैं भगवान शिव की आराधना से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भगवान विष्णु की पूजा से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. इनमें से किसी एक की आराधना करने से दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
भगवान शिव अपने भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं, इस कारण इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है. लंका पर चढ़ाई से पहले प्रभु श्रीराम ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना कर उनकी स्तुति की थी. पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम ने भगवान शंकर के लिए जो शंभु स्तुति की थी, वो “नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम्। नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि॥…” थी. वहीं श्रीरामचरितमानस के अनुसार ये कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम ने शिव जी के लिए जिस रूद्राष्टकम मंत्र का जाप किया था, वो “नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम…” है. इसके साथ-साथ कहते हैं कि भगवान शिव ने भी प्रभु श्रीराम की स्तुति की है और वो स्तुति “जय राम रमारमनं समनं। भवताप भयाकुल पाहि जनं॥… है.