भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. रामायण में अगर देखा जाए तो जहां एक ओर श्रीराम ने मर्यादा का पालन किया तो वहीं दूसरी ओर उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने एक तपस्वी की तरह अपना जीवन बिताया.
कहते हैं मेघनाद यानि इंद्रजीत को लक्ष्मण के अलावा और कोई मार ही नहीं सकता था. एक पौराणिक कथा के अनुसार रावण वध के बाद श्रीराम से मिलने आए अगस्त्य मुनि ने मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ-साथ लक्ष्मण जी की वीरता की भी खूब प्रशंसा की. अगस्त्य मुनि के अनुसार मेघनाद का वध केवल वही कर सकता था जिसने 14 वर्ष तक एक तपस्वी की तरह बिना सोए, बिना खाए और बिना किसी स्त्री का मुख देखे बिताया हो. लक्ष्मण जी 14 सालों तक बिना सोए प्रभु श्रीराम की सेवा करते रहे. रामायण में जब सुग्रीव ने माता सीता की पहचान के लिए कुछ आभूषण दिखाए तो लक्ष्मण सिर्फ पैर के ही आभूषण पहचान पाए थे क्योंकि उन्होंने माता सीता के चरणों के अलावा उनका मुख कभी देखा ही नहीं था. इसके अलावा लक्ष्मण ने गुरू विश्वामित्र से भूख को नियंत्रित करने की अतिरिक्त विद्या भी ग्रहण की थी. इस कारण वो एक तपस्वी कहलाए.