रामायण में वैसे तो एक से एक योद्धाओं का ज़िक्र है, लेकिन रावण की सेना में रावण और कुंभकर्ण के अलावा मेघनाद भी महावीर था. इंद्र पर विजयश्री प्राप्त करने के कारण उसे इंद्रजीत कहा जाता है. मेघनाद की अर्जित कई शक्तियों के बारे में खुद रावण को भी नहीं पता था. कहते हैं राम-रावण युद्ध में शक्तिशाली मेघनाद को लक्ष्मण के अलावा और कोई मार ही नहीं सकता था.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब मेघनाद पैदा हुआ तो उसके मुख से रोने की नहीं बल्कि मेघों की गर्जना सुनाई पड़ी, जिस कारण उसका नाम मेघनाद पड़ा. इंद्र को जीतने के बाद मेघनाद ने उन्हें लंका में बंधक बना लिया था. ब्रह्मा जी के अनुरोध पर मेघनाथ ने इंद्र को छोड़ने के बदले अमरता का वरदान मांगा. अमरता के बदले ब्रह्मा जी ने उसे ये वरदान दिया कि अपनी कुल देवी के यज्ञ के बाद किए गए युद्ध में उसे कोई परास्त नहीं कर सकेगा. मेघनाद ने गुरू शुक्राचार्य से कई सिद्धियां प्राप्त की थी. उस समय के सबसे घातक तीन अस्त्र ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र और वैष्णवास्त्र प्राप्त किए थे.