माता वैष्णो देवी अपने दरबार में आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं. माता वैष्णो का एक नाम देवी त्रिकूटा भी है. कहते हैं माता वैष्णो,, कलयुग में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की प्रतीक्षा कर रही हैं.
एक कथा के अनुसार, त्रेता युग में दक्षिण भारत के रामेश्वरम में पंडित रत्नाकर के घर पर एक दिव्य कन्या देवी त्रिकूटा ने जन्म लिया. 9 साल की उम्र में देवी त्रिकूटा को पता चला कि भगवान विष्णु ने प्रभु श्रीराम के रूप में अवतार लिया है. ये सुनकर देवी त्रिकूटा श्रीराम के लिए तपस्या करने लगीं. सीता हरण के समय जब श्रीराम रामेश्वरम आए तो देवी ने श्रीराम को पति के रूप में प्राप्त करने की इच्छा जताई. प्रभु श्रीराम ने देवी को माता सीता के बारे में बताया और विवाह से मना कर दिया. देवी त्रिकूटा ने जब बहुत प्रार्थना की तब श्रीराम ने कहा कि त्रिकूट पर्वत पर एक गुफा में तीनों महाशक्तियां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती हैं, आप वहां जाकर माता वैष्णो के रूप में मेरा इंतजार करिए. कलयुग में जब मेरा कल्कि अवतार होगा तब मैं आपसे विवाह करूंगा. इस दौरान हनुमान जी धर्म की रक्षा के लिए आपकी सहायता करते रहेंगे.