अश्विन मास के आते ही पितर पक्ष शुरू हो गए हैं. पितर पक्ष के दौरान पूर्वजों को प्रसन्न रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है. इसके लिए व्यक्ति पूर्वजों की मृत आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण करता है.
कहते हैं मृत्यु के बाद यमलोक में व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसकी आत्मा के साथ व्यवहार किया जाता है. जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में अच्छे कर्म करता है उसकी आत्मा को मृत्यु के बाद कोई कष्ट नहीं होता और जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है, मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को कई यातनाएं झेलनी पड़ती है. गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका पिंडदान करना जरूरी होता है. ऐसा ना करने पर आत्मा को यमलोक की यात्रा के दौरान काफी कष्ट झेलना पड़ता है. इसलिए ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के 13 दिन तक व्यक्ति के नाम से किया गया पिंडदान उसे एक वर्ष के भोजन के रूप में मिल जाता है. यही कारण है कि पितर पक्ष में पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण का विधान किया गया है.