भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाने वाली एकादशी तिथियों में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है. इसे देवोत्थान या प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन भगवान नारायण चार महीने बाद योग निद्रा से उठते हैं. इसके साथ ही आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू हुए चातुर्मास का,, कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को समापन हो जाता है.
इस बार देवउठनी एकादशी तिथि 4 नवंबर को पड़ रही है. इस दिन भगवान श्रीहरि के उठते ही सभी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम फिर से शुरू हो जाएंगे. ऐसा माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन व्रत रखने से मोक्ष मिलता है. कहते हैं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत की महिमा के बारे में बताया था. देवउठनी एकादशी के दिन विष्णु जी के ही स्वरूप माने जाने वाले भगवान शालीग्राम और तुलसी विवाह की भी प्रथा है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी को जरूर शामिल करना चाहिए. तुलसी विवाह की कथा सुनने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है.