कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ, इसमें दोनों तरफ से बड़े-बड़े योद्धा लड़े. अपनों के बीच हुए इस महायुद्ध में एक समय ऐसा आया जब अर्जुन मोह में फंसते दिखाई दिए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया और सिर्फ कर्म पर ध्यान देने को कहा.
द्वापर युग में अर्जुन से बड़ा कोई धनुर्धारी नहीं था, लेकिन कहते हैं ना.. अभिमान बड़ों-बड़ों को नहीं छोड़ता. भगवान श्रीकृष्ण के ज्ञान देने के बावजूद अर्जुन भी अभिमान के फेर में आने से बच नहीं सके. महाभारत के युद्ध में अर्जुन जब भीष्म, द्रोणाचार्य, दुर्योधन और कर्ण जैसे महारथियों को परास्त करने के बाद विजेता बने तो उनको लगा कि उनमें बड़ा बल और पराक्रम है. तब भगवान श्रीकृष्ण ने एक झटके में उनका सारा अभिमान चूर-चूर कर दिया. अर्जुन का रथ भस्म होने के बाद श्रीकृष्ण बोले, अगर इस रथ से तुम्हारे उतरने से पहले मैं उतर जाता तो तुम युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद भी जीवित नहीं बचते. ये सुनकर अर्जुन का सारा भ्रम एक पल में दूर हो गया.