भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी को विघ्नहर्ता या विघ्नविनाशक भी कहा जाता है। किसी भी कार्य को करने से पहले गणेश जी का ध्यान बहुत जरूरी होता है। गणेश जी के स्मरण मात्र से कार्य बिना बाधा के पूर्ण होता है। गणपति को सौभाग्य और सुख-समृद्धि का दाता माना जाता है। भगवान गणेश का श्रद्धा और भक्तिभाव से लिया गया नाम व्यक्ति के जीवन में सभी मनोरथ को पूरा करता है।
भादो महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ने वाले पर्व गणेश चतुर्थी का अपना विशेष महत्व है। इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की मूर्ति की घर-घर स्थापना होती है। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर पूजा-अर्चना करने से बड़ा ही लाभ मिलता है। लोगों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है साथ ही धन-वैभव की भी प्राप्ति होती है। गणपति की मूर्ति स्थापना में उनकी सूंड का खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि बायीं सूंड वाले गणपति की आराधना से बप्पा जल्दी प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल देते हैं। गणेश जी को मोदक और बूंदी के लड्डी बहुत प्रिय हैं इसलिए भोग चढ़ाने के लिए इसका ही प्रयोग करें। इसके अलावा हरी दुर्वा, श्रीफल, लाल फूल और शमी की पत्ती भी गणेश जी पर चढ़ाने का विधान है। ये उत्सव ऐसे ही अनंद चौदस तक चलता है। अनंद चौदस के दिन बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन होता है।गणेश चतुर्थी के दिन सभी को एक बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति रात के समय चंद्रमा के दर्शन करने से बचें,,,क्योंकि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना जाता है।