विघ्नहर्ता गणपति की मूर्ति घर लाने से पहले उनकी सूंड को अवश्य देखना चाहिए। गणेश जी की तीन तरह की मूर्तियां होती हैं- एक सीधी सूंड वाली, दूसरी बायीं ओर मुड़ी सूंड और तीसरी दायीं ओर मुड़ी सूंड। सीधी सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति बाजार में मिलना बहुत ही दुर्लभ है। सीधी सूंड वाली मूर्ति की पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण और मोक्ष के लिए उत्तम मानी गई है।
अब बात गणेश जी की मुड़ी सूंड की,,,तो ऐसी सूंड के कारण ही गणपति को वक्रतुंड कहा गया है। गणेश जी की बायीं ओर मुड़ी सूंड में चंद्रमा और दायीं ओर मुड़ी सूंड में सूर्य का प्रभाव माना गया है। सिंहासन पर बैठे गणेश जी की बायीं ओर मुड़ी सूंड वाली मूर्ति को घर में रखने से सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। घर में गणपति की सिंहासन पर बैठी मूर्ति से ही पूजा की जाए। बैठी मूर्ति से पूजा करने पर व्यक्ति की बुद्धि भी स्थिर बनी रहती है। वहीं दायीं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा को मंदिरों में विशेष पूजन द्वारा स्थापित किया जाता है। ऐसी सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति विजय प्राप्ति और शत्रु विनाश के लिए लाभकारी होती है।