असम के गुवाहाटी में नीलांचल की पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या माता का मंदिर एक प्रमुख शक्तिपीठ है. इस मंदिर में माता का योनि भाग गिरा था. कहते हैं कामाख्या मंदिर में हर साल माता तीन दिनों के लिए रजस्वला होती हैं.
कामाख्या मंदिर प्रमुख 51 शक्तिपीठों में से एक है. इसका निर्माण 8वीं और 9वीं शताब्दी के बीच माना जाता है. मंदिर में माता की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक कुंड हैं, जो फूलों से ढका रहता है और इसमें से हमेशा पानी निकलता रहता है. कहते हैं यहां हर साल जब माता तीन दिन के लिए रजस्वला होती हैं तो अंबुबाची मेला लगता है. अंबुबाची मेले के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं होती. आश्चर्य की बात ये है कि इस दौरान यहां ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भी लाल हो जाता है. तीन दिनों के बाद स्नान और श्रृंगार के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिए जाते हैं. इस मेले को देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं.