भगवान विष्णु के अवतारों में से एक अवतार श्रीकृष्ण का है. मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान नारायण ने धरती पर श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया. इसी दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का अपना एक खास महत्व है. इस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है. वेदों और पुराणों में जन्माष्टमी के व्रत की महिमा का बखान किया गया है. उसके अनुसार जो भी व्यक्ति जन्माष्टमी का ये व्रत रखता है, वो सौ जन्मों के पाप से मुक्ति पा जाता है.
लोगों के उद्धार के लिए धरती पर अवतार लेने वाले भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में हुआ था. इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर एक विशेष संयोग बन रहा है. इस दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ने के कारण जयंती योग भी है. दरअसल द्वापर युग में जिस वक्त भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस वक्त भी यही योग था. यही कारण है कि इस बार पड़ने वाली जन्माष्टमी बेहद खास होगी.