राहु और केतु का नाम तो सबने सुना होगा,,,ये दोनों कोई खगोलीय पिंड नहीं बल्कि छाया ग्रह है,,,लेकिन दोनों का जीवन पर प्रभाव बड़ा ही असरदार होता है. राहु और केतु संवेदनशील बिंदू माने जाते हैं। ये दोनों ग्रह किसी भी कुंडली में हमेशा 180 डिग्री की दूरी पर स्थित होते हैं.
उत्तर की ओर सूर्य के मार्ग को चंद्रमा जिस बिन्दु पर काटता है,, उसी बिन्दू को राहु कहा जाता है. दक्षिण की ओर जहां चंद्रमा,,,सूर्य के रास्ते को काटता है उस बिन्दु को केतु कहा जाता है. दरअसल राहु,,,स्वरभानु राक्षस का कटा हुआ सिर है,,,,और केतु उसी स्वरभानु का धड़ है. दिन में राहुकाल मुहूर्त की अवधि बड़ी ही अशुभ मानी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु अशुभ फल देते हैं, उसका जीवन नर्क जैसा बन जाता है. उस व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं. उसे पग-पग पर बाधाओं का सामना करना पड़ता है. राहु और केतु के कष्टों से बचने के लिए भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए.