ज्योतिष में मंगल को तप्त ग्रह माना गया है। इसे साहस और पराक्रम का कारक माना जाता है। अगर सीधे शब्दों में समझा जाए तो मंगल सेनापति की भूमिका निभाता है। इसे भूमि पुत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शंकर के कैलाश पर्वत पर तपस्या के दौरान उनके माथे से पसीने की कुछ बूंदें धरती पर गिरी। इन्हीं बूंदों से धरती ने चार भुजाओं वाले बच्चे को जन्म दिया,,,जिसका शरीर अंगारे जैसा लाल था।
मंगल,,, ऊर्जा, आत्मविश्वास, क्रोध, अहंकार और साहस का प्रतिनिधित्व करता है। ये सेना, पुलिस और खेल के क्षेत्र के साथ भी जुड़ा हुआ है। मंगल के कारण ही व्यक्ति की मानसिक शक्ति मजबूत होती है और उसमें फैसला लेने की क्षमता और उसपर टिके रहने का गुण होता है। यही वजह है कि मंगल बलिष्ठ होने पर व्यक्ति किसी भी दबाव में नहीं आते। कुंडली में मंगल का विशेष प्रभाव रखने वाले व्यक्ति में तर्क करने की शक्ति होती है,,,जिसके कारण व्यक्ति अच्छा वकील या वक्ता बनने की क्षमता रखता है।