गणेश उत्सव की समाप्ति के बाद पितर पक्ष का आगमन हो रहा है. इस साल पितर पक्ष 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक रहेंगे. अश्विन मास के ये 15 दिन पितरों के श्राद्ध कर्म और तर्पण के लिए होते हैं. मान्यता है कि इन 15 दिनों के लिए पितर धरती पर आते हैं और श्राद्ध कर्म से प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
हिंदू धर्म में अश्विन मास में पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक का समय पितरों को याद करने के लिए बनाया गया है. तिथि के अनुसार व्यक्ति अपने-अपने पितरों का श्राद्ध कर्म और तर्पण करता है. अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दे दी जाती है. इस दौरान पितरों की शांति के लिए किए गए श्राद्ध कर्म से वे संतुष्ट होते हैं और खूब आशीष देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि पितर पक्ष में मृत आत्माएं मुक्ति के लिए भ्रमण करती हैं. श्राद्ध के दिनों में मृत्यु के देवता यमराज इन आत्माओं को अपने परिवार को देखने के लिए भेजते हैं. दरअसल ये पूर्वजों को याद करने और उन्हें सम्मान देने का एक तरीका मात्र है.