रुद्राक्ष को भगवान शिव का ‘महाप्रसाद’ माना जाता है. इसकी उत्पत्ति महादेव के आंसुओं से होने के कारण इसे रुद्राक्ष कहा गया. कहते हैं त्रिपुरासुर नाम के राक्षस से ऋषि-मुनियों को जितना कष्ट पहुंचा, उस व्यथा को केवल सुनकर और अनुभव करके महादेव के आंसू निकल पड़े. ये आंसू जहां-जहां गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष के पेड़ उत्पन्न हो गए.
भगवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है. रुद्राक्ष के बारे में कहा जाता है कि ये एक ऐसी शक्तिपुंज है, जिसमें रुद्र की शक्तियां शामिल हैं. तमाम ज्योतिषियों की मानें तो रुद्राक्ष को भगवान शंकर के मंत्रोच्चार से सिद्ध करके धारण करने से बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं. रुद्राक्ष को गले या भुजाओं में धारण करने से व्यक्ति खुद को हमेशा स्वस्थ्य महसूस करता है. रुद्राक्ष को किसी विशेष दिन पहनने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.