हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही पूजनीय हैं,,,क्योंकि ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता, विष्णु को पालक और महेश को संघारक कहा जाता है। वास्तव में तीनों एक ही हैं लेकिन तीनों के विभाग अलग-अलग हैं। महेश यानि शिव,, जो भोलेनाथ भी हैं और विनाशक भी हैं। इसलिए व्रत रहकर भगवान शंकर को प्रसन्न करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है।
सनातन धर्म में वैसे तो कई व्रत हैं लेकिन प्रदोष व्रत का अपना खास महत्व है। हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हालांकि प्रदोष-व्रत को किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू करना चाहिए। लेकिन श्रावण और कार्तिक मास प्रदोष-व्रत शुरू करने के लिए सबसे उत्तम हैं। ऐसामाना जाता है कि इस दिन व्रत रहकर भगवान शिव की उपासना करने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।