सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना और पुत्र प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. हर महीने त्रयोदशी तिथि को व्रत रखकर और पूजन करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और सभी देवता उनके गुणों का यश-गान करते हैं.
हर दिन का अपना अलग-अलग महत्व है. रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को भानु प्रदोष कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से जीवन में यश, सम्मान और सुख-शांति मिलती है. सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष,, सोम प्रदोष कहलाता है. इससे इच्छा अनुसार फल मिलता है. मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कर्ज से छुटकारा मिलता है. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष कहते हैं. शिक्षा के लिए ये व्रत रखा जाता है. गुरुवार को गुरुवारा प्रदोष कहते हैं. इस दिन व्रत रखने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष,, भ्रुगुवारा प्रदोष कहलाता है. जीवन में सौभाग्य वृद्धि के लिए ये व्रत रखा जाता है. शनिवार को पड़ने वाले शनि प्रदोष से पुत्र प्राप्ति और नौकरी में पदोन्नति होती है.