ज्योतिष की मानें तो किसी कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर पूर्व जन्म के बारे में आंकलन किया जा सकता है. पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर ही उसको नया जन्म मिलता है. कुंडली के भाव और उसमें ग्रहों की दृष्टि और बलाबल व्यक्ति के पूर्व जन्म के सारे राज़ खोल सकता है.
ज्योतिषियों के मुताबिक कुंडली में स्थित दो ग्रहों बृहस्पति और शनि से पिछले जन्म के संबंध में काफी जानकारी जुटाई जा सकती है. जहां एक ओर बृहस्पति से पिछले जन्म के कर्मों को जाना जाता है तो वहीं शनि से प्रारब्ध और भाग्य के बारे में पता लगाया जा सकता है. किसी व्यक्ति की कुंडली के पंचम, सप्तम और नवम भाव में स्थित उच्च के बृहस्पति की दृष्टि अगर लग्न पर हो तो ऐसा व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में धर्मात्मा और सद्गुणों से युक्त रहा होगा. कुंडली में अगर चार या उससे ज्यादा ग्रह उच्च के हों तो ऐसा माना जाता है कि उस व्यक्ति ने उत्तम भोग भोगकर नया जन्म लिया है. वहीं इसके विपरीत अगर कुंडली में चार या उससे ज्यादा ग्रह नीच के हों तो ये खराब माना जाता है.