नौ ग्रहों में शनि को न्याय का कारक और शुक्र को भौतिक सुख का कारक कहा गया है. ज्योतिष में जहां एक ओर शनि ग्रह बुढ़ापा, दुख और बाधा का प्रतिनिधित्व करता है तो वहीं दूसरी ओर शुक्र ग्रह भोग, विलास, प्रेम, कला, कामेच्छा, सुगंध का प्रतिनिधित्व करता है.
कुंडली में शुक्र के साथ शनि हमेशा मित्रता का भाव रखते हैं. वैसे तो शनि की दृष्टि को खराब माना गया है लेकिन शुक्र की राशि तुला पर इनकी दृष्टि शुभ ही रहती है. अगर शुक्र और शनि किसी कुंडली में एक ही भाव में हो और अन्य ग्रहों की स्थिति भी शुभ हो तो व्यक्ति हर तरह के सुख प्राप्त करता है. लग्न में स्थित शक्र और शनि व्यक्ति को सुंदरता, धन और स्त्री सुख प्रदान करते हैं. चौथे भाव में शुक्र और शनि की युति व्यक्ति को मित्र से धन की प्राप्ति करवाती है. सप्तम भाव जोकि वैवाहिक जीवन को दर्शाता है, अगर इस भाव में शुक्र और शनि स्थित हों तो उसे धन, संपत्ति के साथ-साथ स्त्री सुख भी मिलता है.