10 अक्टूबर यानि रविवार को नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. ब्रह्मस्वरूप सनत्कुमार की माता होने की वजह से इनको स्कंदमाता कहा जाता है. कमल पर आसन होने के कारण मां स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है. माता को पार्वती और उमा नाम से भी पुकारा जाता है. मां स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. मां स्कंदमाता अपने भक्तों को पुत्र की तरह स्नेह करती हैं. माता की पूजा-अर्चना और आराधना करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है. मां स्कंदमाता के स्मरण मात्र से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं.
नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता की पूजा से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है. संतान की इच्छा रखने वालों की मनोकामना माता अवश्य पूर्ण करती हैं. मां स्कंदमाता की आराधना से परम सुख और शांति मिलती है. मां अपने भक्तों को अलौकिक तेज प्रदान करती हैं. इस दिन केले का नैवेद्य चढ़ाना बहुत शुभकारी होता है. इससे कार्य क्षेत्र में तरक्की होती है.