आ रहा बहुत बड़ा खतरा, हो जाइए सावधान, दिल्ली समेत इन राज्यों में छा जाएगा ‘अंधेरा’

आ रहा बहुत बड़ा खतरा, हो जाइए सावधान, दिल्ली समेत इन राज्यों में छा जाएगा ‘अंधेरा’

चीन के बाद अब भारत इस वक्त अभूतपूर्व बिजली संकट के मुहाने पर खड़ा है. वजह है कोयले की कमी. कोयले से चलने वाले देश के कुल 135 पावर प्लांट्स में से आधे से ज्यादा के पास महज 2-4 दिनों का ही कोल स्टॉक बचा है. भारत जैसे देश में जहां 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयले से होता हो, वहां इस संकट का सीधा मतलब है बिजली गुल होने का खतरा. वह भी ऐसे वक्त में जब त्योहारी सीजन शुरू है, जब बिजली की डिमांड बढ़ जाती है. औद्योगिक और घरेलू बिजली खपत दोनों पीक लेवल पर होते हैं.

ऐसा नहीं है कि यह संकट अचानक पैदा हुआ है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कमजोर होने के साथ ही भारत में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी. पिछले दो महीनों में ही बिजली की खपत में 2019 (प्री-कोविड) के उसी अवधि के मुकाबले करीब 17 प्रतिशत की उछाल आई है. इसी दौरान वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में 40 प्रतिशत इजाफा हुआ जिससे भारत का कोयला आयात गिरकर 2 साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया. नतीजा सामने है. दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला आयातक और चौथे सबसे बड़े स्टॉक वाले भारत के पास अब पर्याप्त स्टॉक ही नहीं है.

सेन्ट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर के आखिर तक देश में कोयले से चलने वाले कुल 135 पावर प्लांट्स में से आधे से ज्यादा के पास औसतन सिर्फ 4 दिनों तक का ही कोयला स्टॉक था. जबकि अगस्त की शुरुआत में यह औसत 13 दिनों का था. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए मौजूदा कोयला संकट से निपटना बहुत बड़ी चुनौती है. कोयले की कमी से कई पावर प्लांट्स में उत्पादन बंद हो गया है. इसकी तपिश कुछ राज्यों में महसूस भी होने लगी है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तो उपभोक्ताओं के पास बिजली कंपनी के संदेश भी आने लगे हैं कि कोयले की कमी की वजह से कुछ घंटे बिजली कटौती के लिए तैयार रहें. कुछ राज्यों में अघोषित बिजली कटौती शुरू भी हो चुकी है और संकट दूर नहीं हुआ तो बाकी राज्यों में भी जल्द ही यह नौबत आने वाली है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कोयला संकट की गंभीरता के मद्देनजर खत लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है. पंजाब के पटियाला जैसे शहरों में 4-4 घंटे की बिजली कटौती हो रही है.

कोयले की कमी से उत्तर प्रदेश में चल रहा बिजली संकट आने वाले दिनों में और भीषण हो सकता है. पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों के मुताबिक 15 अक्टूबर से पहले कोयले की सप्लाई में किसी भी तरह का सुधार होता नहीं दिख रहा है. उमस और बिजली की मांग बढ़ने की वजह से प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों में भयंकर रूप से बिजली की कटौती हो रही है. ग्रामीण इलाकों में घोषित रूप से 4 से 5 घंटे की कटौती हो रही है, तो शहरी उपभोक्ताओं को भी अघोषित रूप से घंटों तक बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. हालात इसी तरह रहे तो शहरों में भी घोषित कटौती करनी पड़ सकती है. प्रदेश में मौजूदा समय में बिजली की मांग 20,000 से 21,000 मेगावॉट के बीच है. वहीं सप्लाई सिर्फ 17,000 मेगावॉट तक हो पा रही है. सबसे अधिक बिजली कटौती पूर्वांचल और मध्यांचल के ग्रामीण इलाकों में हो रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nineteen − six =

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.