ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सुख, समृद्धि, प्रेम और रोमांस का कारक माना जाता है. कुंडली में शुक्र ग्रह का वृष और तुला राशि में होना काफी अच्छा होता है. शुक्र के शुभ स्थिति में होने से व्यक्ति का जीवन हमेशा सुखमय बीतता है.
ज्योतिष के अनुसार, जब कुंडली में शुक्र और गुरू ग्रह एक साथ हों, तो इससे धनहीन और संतानहीन योग बनने के कारण व्यक्ति को काफी कष्ट झेलना पड़ता है. शुक्र और सूर्य ग्रह की युति राजभंग योग बनाती है, जिसके कारण व्यक्ति को सरकारी नौकरी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. शुक्र के साथ मंगल की युति लग्नभंग योग बनाती है, जिससे मेहनत करने के बावजूद सकारात्मक परिणाम नहीं मिलता. शुक्र और चंद्रमा की युति से भाग्यभंग योग का निर्माण होने के कारण भाग्योदय देर से होता है. शुक्र और बुध की युति विपरीत राजयोग बनाती है, जिससे जीवन में सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती. शुक्र और शनि की युति पराक्रमभंग योग और सुखहीन योग बनाती है. शुक्र और राहु की युति लंपट योग बनाती है, जिससे व्यक्ति काफी कामुक होता है. शुक्र और केतु की युति के कारण व्यक्ति गुप्त रोगी होता है.