चैत्र माह में पड़ने वाली नवरात्रि का विशेष महत्व है. नौ दिनों तक मां जगदंबा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है. आखिरी नवरात्रि के दिन यानि नवमी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम का जन्म होने के कारण इसे रामनवमी भी कहा जाता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, जब प्रभु श्रीराम,, रावण से युद्ध करने जा रहे थे, तब देवताओं ने उन्हें ‘शक्ति’ यानि मां दुर्गा की उपासना कर विजयश्री का आशीर्वाद लेने की सलाह दी. देवी मां के पूजन के लिए 108 नीलकमल के पुष्प की व्यवस्था की गई. रावण को जब इस बात का पता चला तो वो अपनी मायावी विद्या से एक पुष्प चोरी कर लंका नगरी ले आया और मां दुर्गा की आराधना करने लगा. पूजन के लिए एक पुष्प कम होने पर जैसे ही प्रभु श्रीराम ने अपनी एक आंख माता को समर्पित करने का प्रण किया, वैसे ही मां जगदंबा वहां प्रकट हो गईं. उन्होंने प्रभु श्रीराम को युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद दिया. इसके बाद राम-रावण युद्ध में प्रभु श्रीराम ने रावण की नाभि में बाण से प्रहार करके उसका वध कर दिया.