भगवान शिव के अंशावतार और प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी सभी देवताओं में श्रेष्ठ माने जाते हैं. संकटमोचन हनुमान अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता हैं. हनुमान जी इसलिए भी श्रेष्ठ हैं क्योंकि इतने महावीर होने के बावजूद भी वे भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं.
हनुमान जी में जहां भगवान रुद्र की शक्ति है, वहीं पवन की गति से चलने की क्षमता भी है. हनुमान जी को बल, बुद्धि और विद्या का सागर कहा जाता है. उनके बल और बुद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब-जब प्रभु श्रीराम को उनकी सहायता की जरूरत पड़ी, वो संकटमोचन हनुमान बनकर सामने आए. रामायण के अनुसार, चाहे भगवान राम और लक्ष्मण के नागपाश में बंधने की घटना हो, या लक्ष्मण जी के शक्ति लगने की घटना हो या फिर सौ योजन समुद्र लांघकर सीता माता को ढूंढने की बात हो, सबमें उन्होंने हर तरह से अपना विशेष योगदान दिया.