ज्योतिष में नौ ग्रहों का विशेष महत्व है. सूर्य को आत्मा और चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. गुरू शिक्षा, आध्यात्म और धर्म का कारक है तो मंगल युद्ध, शौर्य और नेतृत्व का कारक है. शुक्र सुंदरता, वैवाहिक जीवन और भोग-विलास का कारक है तो शनि न्याय और दंड के कारक हैं. राहु कूटनीति, आलस, अस्थिरता का कारक है तो केतु लेखन, शोध और मानसिक अस्थिरता का कारक है.
इन ग्रहों की स्थिति और बलाबल के आधार पर ही व्यक्ति की कुंडली का आंकलन किया जाता है. कुंडली में अगर ग्रह शुभ स्थिति में हैं तो जीवन सुगमता से चलेगा और अगर ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं हैं तो जीवन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है. कुंडली में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के प्रारब्ध पर निर्भर करती है जिसको कोई बदल नहीं सकता, लेकिन जीवन में किए अच्छे कर्म व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में डंटे रहने में मदद करते हैं.