राजस्थान के पुष्कर में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर है. ये मंदिर रत्नगिरी पर्वत की तलहटी पर स्थित है. यहांतीन झीलें हैं,, जो ज्येष्ठ, मध्यम और लघु पुष्कर के नाम से प्रसिद्ध हैं. ज्येष्ठ के देवता ब्रह्मा, मध्यम के विष्णु और लघु पुष्कर के महेश हैं. पौराणिक कथा के अनुसार,, एक बार धरती पर व्रजनाश नामक राक्षस के उत्पात से तंग आकर ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया था,, उस वक्त उनके हाथों से निकले तीन कमल जहां-जहां गिरे,, वहां ये झीलें बन गई. उसके बाद ही इस जगह का नाम पुष्कर पड़ा. यहां के पुष्कर सरोवर को कैलाश मानसरोवर के समान ही पवित्र माना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि यहां सूर्य, वसु, रूद्र, सांध्य, मारुत, गंधर्व आदि देवता आठों पहर निवास करते हैं. सनातन धर्म में पुष्कर, कुरुक्षेत्र, गया, गंगा और प्रयाग क्षेत्र को पंचतीर्थ कहा गया है. यहां परिक्रमा करते समय कई महर्षियों को तपोभूमि के भी दर्शन होते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को ब्रम्हा जी ने पुष्कर में यज्ञ किया था, इसलिए यहां हर साल एकादशी से पूर्णिमा तक कार्तिक और बैसाख महीने में विशाल मेला लगता है.