भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम को मर्यादापुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने जीवन भर मर्यादा में रहकर कार्य किए और आने वाली पीढ़ी के सामने एक उच्च आदर्श प्रस्तुत किया।
वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक इक्ष्वाकु थे जिन्होंने अपनी राजधानी अयोध्या बनाई। इस तरह से इक्ष्वाकु वंश की नींव पड़ी और भगवान राम भी इसी इक्ष्वाकु वंश के थे। इक्ष्वाकु वंश में ही एक और तेजस्वी और पराक्रमी राजा रघु हुए। उनके इस तेजस्वी गुण के कारण ये वंश रघुकुल कहलाया। भगवान श्री राम के द्वारा 11000 वर्षों तक अयोध्या में शासन को ही राम राज्य कहा गया। जब श्रीराम को 14 वर्ष के लिए वनवास हुआ तो उन्होंने 12 वर्ष जंगल में बिताए। इसी दौरान माता सीता का अपहरण हुआ और आखिर के 2 वर्ष राम ने सीता माता को ढूंढने और रावण से युद्ध करने में गुजारे।