शनि की वक्र दृष्टि से हर कोई डरता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि शनि हमेशा लोगों के जीवन में परेशानी ही लाएं. शनि न्याय के देवता हैं, इस कारण शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार शुभ और अशुभ फल देते हैं.
लग्न में स्थित शनि के कारण व्यक्ति राजा के समान जीवन जीता है. द्वितीय भाव का शनि व्यक्ति को लोहे के व्यापार में सफल बनाता है. तृतीय भाव में शनि होने से जीवन संघर्षपूर्ण रहता है. चतुर्थ भाव में स्थित शनि के कारण जीवन में सुख की कमी आती है. पंचम भाव के शनि के कारण व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित करने वाली होती है. छठे भाव का शनि शत्रुओं पर विजय दिलाता है. सप्तम भाव में स्थित शनि के कारण व्यक्ति को पत्नी से मधुर संबंध रखने चाहिए. अष्टम भाव का शनि दीर्घायु बनाता है. नवम भाव में स्थित शनि व्यक्ति को सुखी जीवन प्रदान करता है. दशम भाव का शनि धनवान बनाता है. एकादश भाव में शनि के कारण व्यक्ति चतुराई से पैसा कमाने वाला होता है. द्वादश भाव में स्थित शनि के कारण व्यक्ति का कोई शत्रु नहीं होता.