9 अक्टूबर यानि शनिवार को नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. इस बार एक ही दिन तृतीया और चतुर्थी तिथियां पड़ रहीं हैं. मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होता है. माता भक्तों के दुखों का नाश करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा लिए रहती हैं. मां चंद्रघंटा को घंटों की नाद बेहद प्रिय है. इन्हें राक्षसों का वध करने वाली देवी माना गया है. मान्यता है कि माता के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करने वाले भक्तों को विशेष कृपा मिलती है और वे निर्भय और सौम्य बनते हैं. मां चंद्रघंटा की आराधना भक्त को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति देती है.
कहते हैं मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति ही धर्म की रक्षा करने और दुनिया से अंधकार को मिटाने के लिए हुई थी. इस दिन माता को दूध या दूध से बनी चीजों का भोग लगाना फलदायी होता है. भोग लगाने के बाद उसको दान स्वरूप भी दिया जाना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति के साथ-साथ परम आनंद की प्राप्ति होती है.