कहते हैं रुद्र यानि शिव को रुद्राक्ष बेहद प्रिय है, इसलिए रुद्राक्ष धारण करने वाले पर महादेव का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. शरीर पर रुद्राक्ष धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा का कोई असर नहीं पड़ता. रुद्राक्ष के ज्यादातर पेड़ पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं.
रुद्राक्ष के बारे में कहा जाता है कि ये 21 मुखी तक होते हैं, जिनमें से कुछ रुद्राक्ष का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है. इन रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव के अलग-अलग स्वरूपों से बताया गया है. जैसे- एक मुखी रुद्राक्ष का संबंध भगवान शंकर से, दो मुखी का अर्द्धनारीश्वर स्वरूप से, तीन मुखी का अग्नि स्वरूप से, चार मुखी का ब्रह्म स्वरूप से, पांच मुखी का कालाग्नि स्वरूप से, छह मुखी का कार्तिकेय से, सात मुखी का कामदेव से, आठ मुखी का गणेश और भैरव से, नौ मुखी का शक्ति स्वरूप से, दस मुखी का यम से, ग्यारह मुखी का रुद्र स्वरूप से, बारह मुखी रुद्राक्ष का संबंध सूर्य से माना जाता है. वैसे तो व्यक्ति को कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना चाहिए लेकिन पांच मुखी रुद्राक्ष के बारे में कहा जाता है कि इसे कोई भी धारण कर सकता है.