माता भगवती के नौ रूपों में से एक हैं मां भद्रकाली. माता ने ये रूप दुष्टों और असुरों का संहार करने के लिए धरा था. मां काली को देवी की 10 महाविद्याओं में से एक प्रमुख माना गया है.
पौराणिक कथा के अनुसार, दारुण नाम के एक असुर से सभी देवता काफी परेशान थे. दारुण को ब्रह्मा जी से किसी स्त्री के हाथों ही मृत्यु का वरदान मिला था. देवता गण देवों के देव महादेव के पास गए और उनसे मदद मांगी. शिव जी के आग्रह पर माता पार्वती ने अपनी शक्ति के तेज को शिव जी के अंदर प्रवेश कराया. शंकर जी के गले में विष के प्रभाव में आने से ये शक्ति पुंज काले वर्ण में परिवर्तित होने लगी. इसके बाद जैसे ही शिव जी ने अपना तीसरा नेत्र खोला, एक काले रंग की विशालकाय आकृति उत्पन्न हुई, जिन्हें मां काली का नाम दिया गया. मां काली के इस दिव्य रूप के कारण दारुण नाम के असुर का अंत हुआ. लेकिन माता का क्रोध शांत ना होने पर शिव जी ने एक बच्चे का रूप धरा और उनके सामने लेट गए. शिव जी को देखते ही मां काली का क्रोध शांत हुआ.