पति-पत्नी एक गाड़ी के दो पहिए की तरह हैं। अगर एक पहिया सही नहीं तो दूसरा चाहे जितना भी सही हो गाड़ी ठीक तरीके से नहीं चलती। इसलिए जरूरी है कि वैवाहिक जीवन को मधुर बनाएं। पति-पत्नी के बीच संबंध बेहतर होगा, तभी जीवन में मिठास आएगी।
ज्योतिष की बात की जाए तो कुंडली में अग्नि तत्व की मात्रा ज्यादा होना पति-पत्नी में बढ़ते वाद-विवाद का प्रमुख कारण है। इसके अलावा कुंडली में अगर वैवाहिक जीवन का कारक ग्रह शुक्र कमजोर हो तो दोनों के बीच आपसी तालमेल की कमी रहती है। स्त्री की कुंडली की बात की जाए तो गुरू यानि बृहस्पति इसके लिए खासतौर पर उत्तरदायी हैं क्योंकि अगर शुक्र के साथ-साथ बृहस्पति की भी स्थिति ठीक नहीं तो वैवाहिक जीवन में समस्याएं आना तय है। कुल मिलाकर पति-पत्नी का आपसी सम्बन्ध शुक्र और बृहस्पति पर निर्भर करता है। ये समस्याएं शनि, सूर्य, मंगल, राहु और केतु के सही स्थिति में ना होने पर और भी बढ़ जाती हैं। वहीं अगर बृहस्पति, चन्द्रमा और बुध की स्थिति ठीक हो तो इन समस्याओं में कमी आती है। बृहस्पति को स्त्री के विवाह के लिए कारक ग्रह माना गया है।