ज्योतिष में चंद्रमा का विशेष महत्व है क्योंकि चंद्रमा मन का कारक है। मन के कारण ही लोगों को परेशानी का अनुभव होता है। मन की वजह से ही लोगों को चिंता सताती है और बेचैनी महसूस होती है। कुछ भी अच्छा-बुरा सोचने की ताकत मन से ही विकसित होती है। इसके लिए जरूरी है कि चंद्रमा को प्रबल बनाया जाए और ये तब संभव होगा जब हम चंद्रमा की आराधना करें। यही कारण है कि चाहे करवा चौथ हो या कोई और व्रत,,,सबमें चंद्र देव ही पूजे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की पूजा से स्त्रियों के मन की चंचलता खत्म होती है और उनपर चंद्र देव की कृपा हमेशा बनी रहती है। चंद्रमा की पूजा से मन से सभी प्रकार की नकारात्मकता, असुरक्षा की भावना, पति के स्वास्थ्य की चिंता और दुर्भावना समाप्त होती है। साथ ही जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। कुंडली की बात करें तो चंद्रमा की खराब स्थिति पति-पत्नी में दुराव पैदा कराती है। इसलिए पति-पत्नी को इस कामना के साथ चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए ताकि पति-पत्नी में किसी तरह की कोई दूरी न रहे।
ऐसा कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए रखा था। इतना ही नहीं महाभारत काल में कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने अर्जुन के लिए ये व्रत रखा था। इस व्रत में द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा चंद्रमा के रूप में की थी। इसलिए चंद्रमा हमेशा से ही पूजनीय हैं।