शनि को संतुलन और न्याय का देवता माना गया है. जिस तरह शनि देव, हनुमान जी के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते, उसी तरह भगवान शिव का ही अवतार माने जाने वाले पिप्लाद ऋषि का नाम जपने वाले व्यक्ति से भी शनि देव दूर ही रहते हैं.
पिप्लाद मुनि के बारे में कहा जाता है कि जब उनका जन्म हुआ तो शनि देव ने उन्हें अनाथ कर दिया. जब ये बात बड़े होने पर पिप्लाद मुनि को पता चली तो उन्होंने नाराज होकर शनि देव से बदला लेने की ठान ली. पिप्लाद मुनि एक पीपल के पेड़ के नीचे ब्रह्मा जी की तपस्या करने लगे. ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर पिप्लाद मुनि को वरदान के रूप में ब्रह्मदंड दिया. एक दिन जब शनि देव कहीं जा रहे थे,, पिप्लाद मुनि ने देखते ही उनपर ब्रह्मदंड से हमला कर दिया,, जिससे उनके पैर में चोट लग गई. शनि देव ने दुखी होकर भगवान शंकर को पुकारा, जिसके बाद शिव जी ने आकर पिप्लाद का क्रोध शांति कर शनि देव की रक्षा की. यही कारण है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं.