शरद पूर्णिमा का पर्व धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारणों से बहुत ही उत्तम है। शरद पूर्णिमा की रात 16 कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। इसीलिए घरों में शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है और सुबह वो प्रसाद सभी लोग नाश्ते से पहले लेते हैं। इस पर्व को अश्विन पूर्णिमा और कोजगारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सतयुग में अश्विन माह की पूर्णिमा पर समुद्र मंथन के समय माता लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं। यही वजह है इस दिन लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी, श्री हरि के साथ गरूड़ पर सवारी करते हुए पूरी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। लक्ष्मी जी घर-घर जाकर सभी को आशीर्वाद प्रदान करती हैं, और लोगों को कर्ज से भी मुक्त करती हैं। यही कारण है कि इसे कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। कहा ये भी जाता है कि जो लोग सोते रह जाते हैं उनके दरवाजे से माता वापस लौट जाती हैं। शरद पूर्णिमा की रात का नज़ारा देखने के लिए सभी देवतागण स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी अपने भक्तों की सभी परेशानियां दूर करती हैं। इस बार शरद पूर्णिमा शुक्रवार और शनिवार के दिन है, इसलिए धन और वैभव की दृष्टि से ये बहुत ही शुभ संयोग है। यही नहीं इस बार पूर्णिमा पर सवार्थसिद्धि योग भी बन रहा है, जो बहुत अच्छा योग माना जाता है। नवविवाहित महिलाएं किसी नए व्रत की शुरुआत इस दिन से कर सकती है।
अगर वैज्ञानिक कारणों की बात की जाए तो इस रात चंद्रमा की किरणों में ऐसे गुणकारी तत्व मौजूद रहते हैं जो शरीर को पोषण देने का काम करते हैं। रात में रखी गई खीर को सुबह खाने से पेट संबंधी विकार दूर होते हैं। ज्योतिष की बात करें तो चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा के दर्शन से सभी मानसिक कष्टों से छुटकारा भी मिलता है।