ज्योतिष और गणित का बड़ा ही गहरा संबंध है। जिस तरह गणित में गणना होती है उसी तरह ज्योतिष में भी गणना करके ही निष्कर्ष तक पहुंचा जाता है। जो व्यक्ति ज्योतिष की सटीक गणना करता है उसे ही अच्छा ज्योतिषी माना जाता है। कुंडली में वैसे तो कई तरह के योग देखने को मिलते हैं। यूं कहें कि ग्रहों के विशेष क्रम से बनी व्यवस्था कुंडली में तरह तरह के योग का निर्धारण करती है। इन्हीं योगों में से एक है- विपरीत राजयोग। इस योग की अपनी अलग विशेषता है। गणित में जैसे नेगेटिव-नेगेटिव मिलकर पॉज़िटिव बनता है उसी तरह विपरीत राजयोग भी होता है। जब दो अशुभ भावों और उन भावों के स्वामी के बीच सीधा या दृष्टि संबंध होता है, तो दोनों अशुभ भावों का प्रभाव मिलकर,, शुभ फल में परिवर्तित हो जाता है।
ये योग कहने के लिए तो विपरीत राजयोग है,, लेकिन इसका प्रभाव राजयोग की तरह ही होता है। तमाम संघर्ष और असफलताओं के बावजूद ये योग व्यक्ति को अचानक से बुलंदियों तक पहुंचा देता है। विपरीत राजयोग में व्यक्ति को किसी की हानि और पतन से लाभ मिलता है। इस योग के निर्माण से व्यक्ति को जीवन में धन, संपत्ति, जमीन, मकान और वाहन का सुख प्राप्त होता है। जब ग्रहों की विशेष दशा और महादशा आती है तब विपरीत राजयोग वाले व्यक्ति के जीवन में तेजी से सुधार आता है। इस योग की खास बात ये है कि इसका प्रभाव ज्यादा लंबे वक्त तक नहीं रहता।