12 अक्टूबर यानि मंगलवार को नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. वैसे तो पूरी नवरात्रि ही बेहद शुभ मानी जाती है लेकिन आखिरी के 4 दिनों का अपना विशेष महत्व है. सप्तम कालरात्रि को दुष्टों का विनाश करने वाली देवी कहा गया है. मां कालरात्रि के एक हाथ में खड्ग, दूसरे हाथ में लोहे का शस्त्र, तीसरा हाथ वरमुद्रा और चौथा हाथ अभय मुद्रा में होता है. माता को रातरानी का फूल चढ़ाना अच्छा माना गया है.
नवरात्रि की सप्तमी तिथि को सुबह 9 तरह की पत्तियों के गुच्छे से भी माता के पूजन का विधान है. इन पत्तियों को माता का स्वरूप मानते हुए आराधना की जाती है. इन 9 पौधों की पत्तियों की पूजा को नवपत्रिका के नाम से जाना जाता है. मां कालरात्रि की पूजा करने वालों पर माता अपनी विशेष कृपा बनाए रखती हैं. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना काफी फलदायी माना गया है. इसके अलावा दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच, अर्गलास्तोत्र और कीलक स्तोत्र का भी पाठ करना मंगलकारी होता है.