शिव जी के वरदान की वजह से शनि देव को सभी 9 ग्रहों में विशेष महत्व दिया जाता है. शनि कुंडली में जिस स्थान पर बैठते हैं उसको तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं लेकिन जहां भी दृष्टि डालते हैं,,,उस स्थान को प्रभावित करते हैं. कहते हैं अगर शनि देवता को प्रसन्न करना हो तो शनिवार को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए.
शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा का एक प्रमुख कारण है. त्रेता युग में शनि की दृष्टि से सोने की लंका को बचाने के लिए रावण ने भी बलपूर्वक शनि देव को बंदी बना लिया था ताकि उनकी दृष्टि पड़ने से लंका बर्बाद न हो. जब सीता की खोज में निकले हनुमान जी ने लंका पहुंचकर शनि देव को आजाद कराया तो उनकी दृष्टि और हनुमान जी के बाहुबल से पूरी लंका नगरी जलकर खाक हो गई. इस दौरान शनि देव ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि अगर कोई भक्त तुम्हारी पूजा करेगा तो उसको मेरी पूजा के बराबर फल मिलेगा.