राखी का पर्व रक्षाबंधन इसबार ज्यादातर लोग 12 अगस्त को मना रहे हैं. 11 अगस्त को भद्रा होने के कारण लोग इसे 12 अगस्त को मनाना ज्यादा उचित मान रहे हैं. हालांकि श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:38 बजे शुरू होकर 12 अगस्त सुबह 7:05 बजे तक रहेगी, लेकिन भद्रा काल 11 अगस्त को रात 8:53 पर खत्म होने और सूर्यास्त के कारण काफी लोग इसे 12 अगस्त को ही मनाएंगे.
दरअसल भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते. पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा,, सूर्यदेव और छाया की पुत्री यानि शनिदेव की बहन मानी जाती हैं. शनिदेव की तरह ही भद्रा का स्वभाव भी क्रूर माना जाता है. भद्रा के स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने उन्हें पंचांग में एक विशेष स्थान दिया है. ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तो भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होता है. जब चंद्रमा मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक राशि में होता है तो भद्रा का वास स्वर्गलोक होता है. चंद्रमा के कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में होने पर भद्रा का वास पाताल लोक में होता है.