आश्विन महीने की नवरात्रि शारदीय नवरात्रि कहलाती है। मां दुर्गा आदिशक्ति को समर्पित शारदीय नवरात्रि का पर्व इस बार रविवार 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है। माता की आराधना के इन नौ दिनों का सभी को इंतज़ार रहता है। नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की आराधना करने से विशेष फल मिलता है।
15 अक्टूबर को घटस्थापना के साथ शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि का समापन 23 अक्टूबर को महानवमी के दिन होगा। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायिनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिपदा तिथि शनिवार 14 अक्टूबर की रात 11 बजकर 24 मिनट पर आरंभ होगी, जो सोमवार 16 अक्टूबर को रात 12 बजकर 3 मिनट तक रहेगी। नवमीं के अगले दिन यानि दशमी तिथि को दशहरे का पर्व मनाया जाएगा।
इस बार की नवरात्रि की खास बात ये है कि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे शुभ संकेत माना जा रहा है। शास्त्रों में हाथी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। वैसे तो मां दुर्गा की सवारी सिंह है, लेकिन कहा जाता है कि जब वे नवरात्रि के दौरान पृथ्वी पर आती हैं, तो उनकी सवारी बदल जाती है। माता की सवारी नवरात्रि के प्रारंभ होने वाले दिन और तिथि पर निर्भर करती है।
ज्योतिषियों की मानें तो नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का शुभारंभ बुधादित्य योग, शश योग और भद्र योग के साथ हो रहा है। इसके अलावा माता के नौ दिनों तक पूजन के दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, अमृतसिद्धि योग, प्रीति योग, आयुष्मान योग और रवि योग भी बन रहे हैं, जिसे काफी शुभ माना जाता है।