नौ ग्रहों में शनि का एक अलग और खास स्थान है. शनि ग्रह किसी व्यक्ति के जीवन में दुख और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है. शनि का प्रभाव अगर अन्य ग्रहों पर हो तो शनि उसी ग्रह से संबंधित रोग देता है.
शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो व्यक्ति को सिर दर्द की परेशानी रहती है. चन्द्रमा पर शनि की दृष्टि हो तो व्यक्ति को अक्सर सर्दी लगने की शिकायत रहती है. शनि की प्रभाव मंगल पर हो तो रक्त की कमी या ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है. इसके अलावा शनि की दृष्टि बुध पर हो तो नपुंसकता, गुरु पर हो तो मोटापा, शुक्र पर हो तो वीर्य के रोग या प्रजनन क्षमता कमजोर होती है. वहीं राहू पर शनि के प्रभाव से व्यक्ति को हाई और लो ब्लडप्रेशर की समस्या होती है. केतु पर शनि के प्रभाव से व्यक्ति को गम्भीर रोग होते हैं और वो व्यक्ति जीवरभर बीमारियों से जूझता रहता है. इसके अलावा लाइलाज रोग शनि ही देता है. शनि का संबंध ऑर्थराइटिस, ब्लडप्रेशर, हृदयरोग, गैस्ट्रिक और अन्य पेट संबंधी समस्याओं से हो सकता है. इन बीमारियों से मुक्ति के लिए अग्निशार, पवनमुक्तासन, भ्रामरी, कपालभाति और अनुलोम विलोम जैसे योगासन करने चाहिए.