ज्योतिष में सभी नौ ग्रह एक अवधि के बाद अपनी चाल बदलते हैं. इन ग्रहों की वक्री अथवा उल्टी चाल के कारण कुछ राशियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव और कुछ पर नकारात्मक प्रभाव नज़र आता है. नौ ग्रहों में शनि के गोचर को इसलिए विशेष महत्व दिया गया है क्योंकि शनि के राशि परिवर्तन से व्यक्ति के जीवन पर इसका दूरगामी असर दिखाई पड़ता है.
शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह है. ये किसी एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहकर ढैय्या बनाते हैं. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का असर अलग-अलग राशियों में अलग-अलग होता है. ज्योतिषियों के अनुसार व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल देने वाले न्याय के देवता शनि,, अगले महीने 17 जून को रात्रि 10:48 बजे कुंभ राशि में रहते हुए वक्री अथवा उल्टी चाल से चलने लगेंगे. 4 नवंबर तक शनि वक्री रहेंगे और फिर कुंभ राशि में ही वे मार्गी हो जाएंगे. अन्य ग्रहों के राशि परिवर्तन के साथ ही वक्री शनि केंद्र त्रिकोण राजयोग का भी निर्माण करेंगे. इसके कारण वृषभ, सिंह और तुला राशि वालों को विशेष लाभ मिल सकता है.